कम्पोस्ट खाद
कम्पोस्ट खाद वह खाद है जो पौधों के अवशेष , खरपतवार हुआ धारा , पुआल , सूखी हरी पतियों , नर्म डण्ठल , घर के कूड़ाकरकट , केविन , भूसी , राख , धान के छिलके , पुराने ऊपर , गोबर तथा गोभी भी आधि के गड्ढे में नियत रीति से सड़ाकर तैयार की जाती है । यह ऐसी देशी खाद है जो कम गोवर के प्रयोग से ही तैयार की जा सकती है एवं प्रयोग से लाभ उठाया जा सकता है । कम्पोस्ट खाद बनाने की विधि कम्पोस्ट गड्डों में बनाई जाती है । वृक्ष के नीचे ऊंचे स्थान पर बनाए जाते हैं ।
प्रत्येक गड्ढे का आकार 2 » x 2 मीटर रखा जाता है । साधारणतया पूरे वर्ष के लिए कुल चार गड्ढे अलग में बना लिए जाते हैं भराई पहले गड़े को छोड़कर दूसरे से प्रारम्भ का है । इसके लिए गड्ढे में से सबसे पहले जैविक पदार्थ की 15 सेमी मोटी तह लगाते है । जैविक पदार्थ के ऊपर 5 सेमी मोटी गोबर की तह और उसके ऊपर 2 सेली मोटी मूत्रयुक्त मिट्टी की तय लगाई जाती है ।
गड्डे में भरे जाने वाले पदार्थों , गोबर और मूत्र युक्त मिट्टी की तहों से पूरा गड्डा भर दिया जाता है । जब गड्डा तल से 30 सेमी ऊँचा भर जाता है तब उसका भरना रोक देते हैं और उसे 5 सेमी मोटी मिट्टी की तह से ढक कर लीप दिया जाता है । इसी प्रकार तीसरा तथा चीचा गड्डा भरा जाता है । गड्डु के चारों तरफ ऊँची मेड भी बना दी जाती है जिससे वर्षा का पानी गड्ढे में न जाने पाये ।
गड्ढे भरने के एक महीने बाद पहली पलटाई को जानी चाहिए । पलटाई में दूसरे गड्ढे की खाद को पहले गड्ढे में तथा तीसरे और चौथे गड्ढे की खाद को क्रमश : दूसरे और तीसरे गड्ढे में डाला जाता है । पलटाई के समय यदि खाद में नमी की कमी हो तो आवश्यकतानुसार पानी छिड़क देना चाहिए । पहली पलटाई । महीने बाद दूसरी पलटाई और दूसरी पलटाई के 5 सप्ताह बाद तीसरी की जानी चाहिए । पलटाई करते समय इस बात का ध्यान रखना आवश्यक है कि ऊपर की खाद नीचे और नीचे की खाद ऊपर हो जाय । ऐसा . करन से खाद 4 महीने में तैयार हो जाती है ।
Compost - is a compost consisting of plant residues, weeded stream, straw, dry green leaves, soft stalks, household waste, kevin, husk, ash, paddy husk, old tops, cow dung and cabbage are also fixed in the pit. It is prepared rotten by custom. This is such indigenous fertilizer that can be prepared only by using less cow dung and can be benefited from its use. The method of making compost manure is made in compost pits. They are made at a high place under the tree. The size of each pit is kept 2 » x 2 m. Generally, for the whole year, a total of four pits are made separately, leaving the first pit, the filling starts from the second. For this, a 15 cm thick layer of organic material is first placed in the pit. A layer of 5 cm thick cow dung and 2 cm thick soil containing urine is fixed on top of the organic matter. The entire pit is filled with layers of soil containing materials, cow dung and urine. When the pit is filled 30 cm high from the bottom, then its filling is stopped and it is covered with a layer of soil 5 cm thick and leaped. Similarly the third and Chicha pit is filled. A high dam is also made around the pit so that rain water does not enter the pit. First weeding should be done one month after filling the pit. In paltai, the manure of the second pit is put in the first pit and the manure of the third and fourth pit is put in the second and third pit respectively. If there is lack of moisture in the compost at the time of turning, then water should be sprinkled as needed. First rebound After a month, the second replanting should be done and after 5 weeks of the second replanting, the third should be done. While overturning, it is necessary to keep in mind that the top compost should be down and the bottom compost should be up. As such . Fertilizer is ready from Karan in 4 months.
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