बालक का समाजीकरण करने वाले तत्व
(FACTORS LEADING TO THE SOCIALIZATION OF THE CHILD)
बालक का समाजीकरण करने वाले वे समस्त तत्व होते हैं जो उस समाज की संस्कृति में पाए जाते हैं जिसमें बालक स्वयं रहता है। वैसे तो बालक के समाजीकरण करने वाले तत्वों की संख्या अनेक है. लेकिन उनमें से कुछ ऐसे भी तत्व है जिनमें अनेक तत्व निहित होते है। यही समाजीकरण के प्रमुख तल होते है, जो निम्नलिखित है-
(1) मनुष्य की जैविक विशेषता (Biological Speciality of man)- मनुष्य की अपनी जैवकीय विशेषता है। वह कुछ मूल प्रवृद्धियो, सामान्य जन्मजात प्रवृत्तियों, इन्द्रियों और मस्तिष्क को लेकर जन्म लेता है। इन्ही के आधार पर उसका समाजीकरण होता है।
(2) सामाजिक अन्त क्रियाएं (Social Interactions) जब तक कोई मनुष्य दूसरे के सम्पर्क में नहीं आता और उसके बीच अन्त क्रियाएं नहीं होती तब तक वह न तो समाज की भाषा सीख सकता है और न आचरण की विधिया जान पाता है। इन्हें सीखकर वह जैवकीय पाणी से सामाजिक
प्राणी बन जाता है।
(3) सामाजिक अन्तः क्रियाओं के निश्चित परिणाम (Definite Results of Social Interactions) समाजीकरण के लिए यह भी आवश्यक है कि व्यक्त्ति-व्यक्ति अथवा व्यक्ति-समाज के बीच की अन्तक्रियाओं के निश्चित परिणाम हो, क्योंकि निरर्थक अन्त कियाओं से समाजसम्मत आचरण नहीं सीख सकते है।
(4) परिणामों के प्रति स्वीकृति-अस्वीकृति (Acceptance or Non- acceptance Regarding the Results) जहां क्रिया होगी, यहा परिणाम अवश्य होगा। चोरी के बीच रहकर बच्चा चोरी करना सीख सकता है. परन्तु जब उसे यह ज्ञात होगा कि यह कार्य समाज द्वारा मान्य नहीं है और वह समाज के साथ समायोजन नहीं कर सकता, तो वह उसे स्वीकार नहीं करेगा। समाज द्वारा स्वीकृत आचरण को सौखकर वदनुकूल आचरण करना ही समाजीकरण होता है।
(5) परिवार (Family) बालक के समाजीकरण के विभिन्न तत्वों में परिवार का प्रमुख स्थान है। इसका कारण है कि प्रत्येक बालक का जन्म किसी न किसी परिवार में होता है। जैसे-जैसे बालक बड़ा होता जाता है वैसे-वैसे अपने माता-पिता, भाई-बहनों और परिवार के अन्य सदस्यों के सम्पर्क में आता है और प्रेम, सहानुभूति, सहनशीलता तथा सहयोग आदि सामाजिक गुणों को सीखता है। इतना ही नहीं वह प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से परिवार के आदर्शी, मूल्यो, रीति-रिवाजों, परम्पराओं और मान्यताओं को धीरे-धीरे सीख जाता है। अत पारिवारिक सदस्यों के साथ अन्त पक्रिया द्वारा बालक का समाजीकरण होता है।
गोल्डस्टीन के अनुसार परिवार वह झूला है जिसमे भविष्य के द्वारा परिवार का सम्बन्ध भूतकाल से होता है, किन्तु सामाजिक उत्तरदायित्वों एव सामाजिक विश्वास के द्वारा परिवार भविष्य से भी सम्बन्धित होता है।"
(6) पडोस (Nerghbourhood)- पड़ोस एक प्रकार का बड़ा परिवार होता है। जिस प्रकार बालक परिवार से अन्त किया द्वारा अपनी संस्कृति एवं सामाजिक गुणों को प्राप्त करता है, उसी प्रकार पड़ोस में रहने वाले विभिन्न सदस्यों एवं बालको के सम्पर्क में रहकर विभिन्न बाती को सीख लेता है। यदि पड़ोस ठीक है तो उस पर अच्छा प्रभाव पड़ेगा, यदि पड़ोस खराब है तो दूषित प्रभाव पड़ेगा, इसीलिए लोग अच्छे परिवारों के पड़ोस में रहना पसन्द करते है।
(7) विद्यालय (School) पड़ोस के बाद विद्यालय का स्थान है जहा बालक का समाजीकरण होता है। विद्यालय में भिन्न-भिन्न प्रकार के परिवारों के बालक पढ़ने आते है। बालक इनके साथ रहकर सामाजिक प्रतिक्रिया करता है। विद्यालय में यह विभिन्न विषयों की शिक्षा प्राप्त करता है। वहां सामाजिक नियमो. रीति-रिवाजो, परम्पराओं, मान्यताओं, आदर्शों तथा मूल्यों का ज्ञान प्राप्त करता है। इसके साथ ही विभिन्न समाजों के विभिन्न गुणों का विकास भी होता है, इसलिए परिवार, पड़ोसियों की भाति विद्यालय भी समाजीकरण का एक मुख्य साधन है।
(8) खेलकूद (Games and Sports)- प्रत्येक बालक खेलकूद पसन्द करता है। खेलते समय वह जाति-पाति, ऊच-नीच या अन्य प्रकार के भेद-भावों से ऊपर उठ जाता है और उनके साथ आनन्द लेता है। खेल में अन्तक्रिया का सबसे अच्छा प्रदर्शन होता है। खेलते-खेलते बालक में प्रेम, सहानुभूति आदि अनेक गुण आने लगते है और उनका विकास होता है। अतः खेलकूद से बालक के समाजीकरण में सहायता मिलती है।
(9) स्काउटिंग एवं गर्ल गाइडिंग (Scouting and Girl Guiding)-
स्काउटिंग एव गर्ल गाइडिंग बालक-बालिकाओं के जनकल्याण के लिए सामूहिक कार्यों को करने के अवसर देते हैं। इनमें छात्र-छात्राओं में सेवा, त्याग, निस्वार्थ भाव आदि विकसित होते है, इसलिए इनका समाजीकरण मे बड़ा महत्व है।
(10) जाति (Caste)- जाति का मुख्य उद्देश्य बालक का समाजीकरण है। प्रत्येक जाति की सांस्कृतिक उपलब्धियां, परम्पराए, रीति-रिवाज एवं प्रथाएं अलग-अलग होती है। अत सभी लोग चाहते है कि बालक अपने जातीय गुणों को ग्रहण करें, इससे समाजीकरण होता है।
(11) समुदाय या समाज (Community or Society)- समाज या समुदाय का समाजीकरण मे महत्व बहुत अधिक है। प्रत्येक समुदाय अपने-अपने साधनों एवं विधियों द्वारा बालक का सगाजीकरण करना चाहता है। अत. जातीय, राष्ट्रीय भावनाएं, मनोरजन, राजनीति, धार्मिकता, कला, साहित्य, इतिहास, वर्ग, प्रथाए, सामाजिक सुविधाएं आदि शिक्षा के साधन है।
(12) धर्म (Religion) धर्म का बालक के समाजीकरण में महत्वपूर्ण योग है। प्रत्येक धर्म के कुछ संस्कार, परम्पराएं, आदर्श और मूल्य होते हैं। जैसे-जैसे बालक बड़ा होता है तो अन्य धर्मों के व्यक्तियो या समूहो के सम्पर्क में आकर उन्हें भी सीख जाता है। इस प्रकार उसका सामाजिक विकास होता है
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