उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता 2006 की [धारा 30(1)] व धारा 30(2)
मिनजुमला गाटों के
विभाजन की स्कीम
धारा 30(2)
नियम-25 व नियम 26
कलेक्टर, प्रत्येक ग्राम के लिए एक क्षेत्रिक पंजी (खसरा) आर०सी०
प्रपत्र 4 में तैयार तथा अनुरक्षित करायेगा तथा (खसरा संख्या भू-खण्ड संख्या की सीमाओं को दर्शाने वाला) एक मानचित्र जिसमें धारा 30 के अन्तर्गत हुए संशोधनों का अंकन हो, रखेगा।
नियम-26
(1) परिषद, सामान्य अथवा विशेष आदेश द्वारा कलेक्टर को यह निदेश देगा कि मिनजुमला गाटों का भौतिक रूप से विभाजन किया जायेगा और राजस्व अभिलेख तद्नुसार संशोधित किये जायेंगे।
(2) इस नियम के उपनियम (1) के अन्तर्गत आदेश होने पर कलेक्टर प्रत्येक गांव के लिये मिनजुमला भूखण्डों की एक विभाजन स्कीम तैयार करायेगा।
(3) मिनजुमला गाटों की विभाजन स्कीम तैयार कराने के प्रयोजनार्थ मिनजुमला गाटों की प्रारम्भिक विभाजन स्कीम लेखपाल द्वारा आर०सी० प्रपत्र-5 में तैयार की जायेगी।
(4) मिनजुमला गाटों की प्रारम्भिक विभाजन स्कीम लेखपाल द्वारा सम्बन्धित खातेदारों एवं भूमि प्रबन्धक समिति के परामर्श से तैयार की जायेगी।
(5) मिनजुमला गाटों की प्रारम्भिक विभाजन स्कीम तैयार करने में निम्नलिखित सिद्धान्तों को अपनाया जायेगा :-
(क) प्रत्येक खातेदार को आबंटित भाग यथासम्भव संहत होगा।
(ख) यथासम्भव किसी भी खातेदार को सभी निम्न श्रेणी की अथवा सभी उच्च श्रेणी की भूमि आबंटित नहीं की जायेगी।
(ग) यदि मिनजुमला गाटे के खातेदार आपसी विभाजन के आधार पर मौके पर अलग-अलग कब्जे में हैं तो उसे, यथासम्भव, अलग-अलग कब्जे के अनुसार आबंटित किया जायेगा।
(घ) प्रत्येक खातेदार को, यथासम्भव, उस स्थान पर क्षेत्रफल आबंटित किया जायेगा जहां पर उसके सिंचाई का वैयक्तिक श्रोत अथवा कोई अन्य सुधार स्थित हो।
(ङ) यदि भूखण्ड या उसका कोई भाग वाणिज्यिक मूल्य का है अथवा सड़क, आबादी या वाणिज्यिक मूल्य की अन्य भूमि से लगा हुआ है तो यथासम्भव उसे ऐसी सड़क, आबादी या वाणिज्यिक मूल्य की अन्य भूमि से लगा हुआ आनुपातिक रूप से प्रत्येक खातेदार को आबंटित किया जायेगा।
(6) लेखपाल एक मानचित्र तैयार करेगा और उसे अभिलेख पर रखेगा जिसमें प्रत्येक खातेदार को दिये गये क्षेत्रफल को भिन्न-भिन्न रंगों में दर्शाया जायेगा।
(7) मिनजुमला गाटों की प्रारम्भिक विभाजन स्कीम तैयार होने के बाद खातेदार पर आर०सी० प्रपत्र 6 में नोटिस के तामीला के दिनांक से पन्द्रह दिनों की अवधि के अन्दर आपत्ति, यदि कोई हो, आमंत्रित करते हुये मिनजुमला गाटे के प्रत्येक खातेदार को नोटिस निर्गत की जायेगी।
(8) उपनियम (7) के अन्तर्गत जारी की गयी नोटिस के अनुसरण में अथवा अन्य प्रकार से आपत्ति प्राप्त करने के बाद, राजस्व निरीक्षक ग्राम राजस्व समिति के परामर्श से पक्षों के बीच सुलह के आधार पर आपत्तियों का निस्तारण करेगा।
(9) सुलह के आधार पर राजस्व निरीक्षक द्वारा तय न की जाने वाली सभी आपत्तियां प्रारम्भिक विभाजन स्कीम के साथ उपजिलाधिकारी के माध्यम से कलेक्टर को अग्रसारित कर दी जायेंगी।
(10) कलेक्टर सम्बन्धित पक्षकारों को सुनवाई का अवसर प्रदान करने के बाद आपत्ति, यदि कोई हो, को तय करेगा और उसके बाद या तो मिनजुमला गाटों की प्रारम्भिक विभाजन स्कीम की पुष्टि करेगा या ऐसा आदेश पारित करेगा जैसा व उचित समझे।
(11) मानचित्र, खसरा और खतौनी को मिनजुमला गाटों की पुष्टिकृत विभाजन स्कीम के अनुसार संशोधित किया जायेगा।
(12) इस नियम के अन्तर्गत पारित कोई आदेश, संहिता की धारा 210 के अन्तर्गत पुनरीक्षण के अधीन, अन्तिम होगा।
उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता 2006 की धारा-30
मानचित्र और खसरा का अनुरक्षण (1) कलेक्टर प्रत्येक ऐसे ग्राम के लिए विहित रीति से मानचित्र
और खसरा रखेगा और उसमें प्रतिवर्ष या ऐसे दीर्घतर अन्तराल पर जैसा विहित किया जाए, गांव की सीमा में या सर्वेक्षण संख्याओं में हुए समस्त परिवर्तनों को अभिलिखित करायेगा और किन्हीं गलतियों और लोप को जो समय-समय पर पाई जाय भी ठीक करायेगा।
(2) मिनजुमला संख्या का विहित रीति से भौतिक विभाजन किया जायेगा और मानचित्र तथा खसरा सहित राजस्व अभिलेखों को तदनुसार संशोधित किया जायेगा।
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