परिचय
भारत का इतिहास महान नेताओं के आदर्शों और त्याग से भरा पड़ा है। हर साल 2 अक्टूबर का दिन विशेष महत्व रखता है, क्योंकि इस दिन दो महान व्यक्तित्वों का जन्म हुआ – महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री।
गांधी जी को राष्ट्रपिता कहा जाता है, जिन्होंने सत्य और अहिंसा के बल पर भारत को आज़ादी दिलाई। वहीं लाल बहादुर शास्त्री जी, अपनी सादगी, ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा के लिए आज भी लोगों के दिलों में बसते हैं।
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महात्मा गांधी: राष्ट्रपिता और सत्य-अहिंसा के पुजारी
जन्म और शिक्षा
महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ।
उनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था।
उन्होंने इंग्लैंड से कानून की पढ़ाई की और दक्षिण अफ्रीका में सत्याग्रह आंदोलन की शुरुआत की।
स्वतंत्रता संग्राम में योगदान
असहयोग आंदोलन (1920): अंग्रेजों के खिलाफ भारतीयों को एकजुट किया।
दांडी यात्रा (1930): नमक कानून तोड़कर ब्रिटिश सत्ता को चुनौती दी।
भारत छोड़ो आंदोलन (1942): अंग्रेजों को भारत छोड़ने का आह्वान किया।
गांधी जी के विचार
“सत्य ही ईश्वर है।”
“आंख के बदले आंख पूरी दुनिया को अंधा बना देगी।”
अहिंसा को उन्होंने जीवन का सबसे बड़ा सिद्धांत माना।
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लाल बहादुर शास्त्री: सादगी और दृढ़ निश्चय के प्रतीक
प्रारंभिक जीवन
जन्म: 2 अक्टूबर 1904, मुगलसराय (उत्तर प्रदेश)
बचपन से ही वे मेहनती और ईमानदार थे।
स्वतंत्रता आंदोलन में उन्होंने सक्रिय भूमिका निभाई और कई बार जेल भी गए।
प्रधानमंत्री के रूप में योगदान
1964 में पंडित नेहरू के निधन के बाद भारत के प्रधानमंत्री बने।
1965 के भारत-पाक युद्ध के समय देश को मजबूत नेतृत्व दिया।
किसानों और जवानों का मनोबल बढ़ाने के लिए उन्होंने नारा दिया –
“जय जवान, जय किसान”
श्वेत क्रांति और हरित क्रांति
दूध उत्पादन बढ़ाने के लिए "राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (NDDB)" की स्थापना की।
कृषि उत्पादन बढ़ाने के लिए किसानों को प्रोत्साहित किया।
सादगी का प्रतीक
उन्होंने कभी दिखावे का जीवन नहीं जिया।
प्रधानमंत्री होने के बावजूद आम नागरिकों जैसा सरल जीवन जीते रहे।
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2 अक्टूबर और अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस
संयुक्त राष्ट्र ने 2007 में 2 अक्टूबर को अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस घोषित किया।
इसका उद्देश्य गांधी जी के विचारों को दुनिया भर में फैलाना है।
इस दिन वैश्विक स्तर पर शांति, अहिंसा और भाईचारे के संदेश को प्रचारित किया जाता है।
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आज के समय में गांधी और शास्त्री जी की प्रासंगिकता
आज के दौर में जब समाज हिंसा, आतंकवाद, भ्रष्टाचार और असमानता की चुनौतियों से जूझ रहा है, तब गांधी और शास्त्री जी के विचार और भी महत्वपूर्ण हो जाते हैं।
गांधी जी हमें सिखाते हैं कि अहिंसा और सत्य से ही स्थायी शांति मिल सकती है।
शास्त्री जी हमें बताते हैं कि सादगी, परिश्रम और आत्मनिर्भरता ही असली ताक़त है।
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निष्कर्ष
2 अक्टूबर हमें दो महान विभूतियों की याद दिलाता है –
महात्मा गांधी, जिन्होंने सत्य और अहिंसा को जीवन का आधार बनाया और भारत को आज़ादी दिलाई।
लाल बहादुर शास्त्री, जिन्होंने देशवासियों को सादगी, मेहनत और “जय जवान जय किसान” का संदेश दिया।
यह दिन केवल एक ऐतिहासिक तिथि नहीं, बल्कि एक प्रेरणा है कि हम भी इन आदर्शों को अपने जीवन में अपनाकर समाज और राष्ट्र के विकास में योगदान दें।
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