💼 पहले सोचता था कि मुझे नौकरी क्यों नहीं मिल रही है, अब सोचता हूँ ऐसी नौकरी क्यों मिल गई!
लेखक: हेमवंत कुमार गौतम
जीवन के हर दौर में इंसान कुछ न कुछ पाने की कोशिश करता है। पढ़ाई पूरी होते ही सबसे बड़ी चिंता होती है — “कब नौकरी मिलेगी?”
हम अपने सपनों की नौकरी की तलाश में दिन-रात मेहनत करते हैं, फॉर्म भरते हैं, इंटरव्यू देते हैं और मन में यही सोचते हैं —
"काश! मुझे भी कोई अच्छी नौकरी मिल जाए।"
🔹 नौकरी मिलने की खुशी
ऐसे ही एक युवक, रवि, भी यही सोचता था। हर दिन अखबार और वेबसाइट पर नई-नई वैकेंसी ढूँढता था।
कई जगह आवेदन किया, पर सफलता नहीं मिली। लेकिन एक दिन किस्मत मुस्कुराई और उसे एक कंपनी में क्लर्क की नौकरी मिल गई।
पहले दिन वह बहुत खुश था। दोस्तों को मिठाई बाँटी, सोशल मीडिया पर पोस्ट डाली –
"Finally Job मिल गई! 😊💼"
उसे लगा अब जिंदगी सेट हो गई। लेकिन कुछ ही दिनों में हकीकत सामने आ गई।
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🔹 नौकरी का असली चेहरा
सुबह जल्दी उठना, ऑफिस पहुँचना, बॉस की बातें सुनना, और काम का इतना बोझ कि साँस लेने तक की फुर्सत नहीं।
महीने के अंत में जब सैलरी मिली तो एहसास हुआ कि ये मेहनत और पैसा बराबर नहीं।
अब रवि सोचता —
“पहले सोचता था कि मुझे नौकरी क्यों नहीं मिल रही है,
अब सोचता हूँ ऐसी नौकरी क्यों मिल गई!” 🤔🤣
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🔹 असली सीख
धीरे-धीरे उसे समझ आने लगा कि नौकरी सिर्फ पैसे का नहीं, अनुभव और धैर्य का खेल है।
हर काम एक नया सबक देता है, हर गलती एक नई सीख।
अगर हम हर छोटी नौकरी को बोझ नहीं बल्कि सीढ़ी मान लें, तो एक दिन हम अपनी मनचाही ऊँचाई तक पहुँच सकते हैं।
रवि ने भी यही किया। उसने हार नहीं मानी, अपने कौशल पर मेहनत की, और कुछ वर्षों बाद वही युवक एक बड़ी कंपनी में मैनेजर बन गया।
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🔹 निष्कर्ष
नौकरी चाहे छोटी हो या बड़ी — ईमानदारी, धैर्य और सकारात्मक सोच से ही आगे बढ़ा जा सकता है।
कभी-कभी जो चीज़ हमें बोझ लगती है, वही हमें मंज़िल तक ले जाती है।
इसलिए अगली बार जब आपको लगे कि “ऐसी नौकरी क्यों मिल गई”,
तो याद रखिए —
हर नौकरी सफलता की पहली सीढ़ी होती है। 💪

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