भाषा (Language) की परिभाषा -
• भाषा वह साधन है, जिसके द्वारा मनुष्य बोलकर, सुनकर, लिखकर व पढ़कर अपने मन के भावों या विचारों का आदान-प्रदान करता है।
दूसरे शब्दों में- जिसके द्वारा हम अपने भावों को लिखित सांकेतिक अथवा मौखिक रूप से दूसरों को समझा सके और दूसरों के भावो को समझ सके उसे भाषा कहते है।
भाषा शब्द संस्कृत के भाष् धातु से बना है। जिसका अर्थ है- बोलना। विद्यालय में अध्यापक अपनी बात बोलकर समझाते हैं और छात्र सुनकर उनकी बात समझते हैं। बच्चा माता-पिता से बोलकर अपने मन के भाव प्रकट करता है ।और वे उसकी बात सुनकर समझते हैं। इसी प्रकार, छात्र भी अध्यापक द्वारा समझाई गई बात को लिखकर प्रकट करते हैं और अध्यापक उसे पढ़कर मूल्यांकन करते हैं। सभी प्राणियों द्वारा मन के भावों का आदान-प्रदान करने के लिए भाषा का प्रयोग किया जाता है। भाषा के द्वारा मनुष्य के भावो, विचारो और भावनाओ को व्यक्त किया जाता है।
सार्थक शब्दों के समूह या संकेत को भाषा कहते है। यह संकेत स्पष्ट होना चाहिए। मनुष्य के जटिल मनोभावों को भाषा व्यक्त करती है; किन्तु केवल संकेत भाषा नहीं है। रेलगाड़ी का गार्ड हरी झण्डी दिखाकर यह भाव व्यक्त करता है कि गाड़ी अब खुलनेवाली है; किन्तु भाषा में इस प्रकार के संकेत का महत्त्व नहीं है। सभी संकेतों को सभी लोग ठीक-ठीक समझ भी नहीं पाते और न इनसे विचार ही सही-सही व्यक्त हो पाते हैं। सारांश यह है कि भाषा को सार्थक और स्पष्ट होना चाहिए।
• भाषा वह साधन है, जिसके द्वारा मनुष्य बोलकर, सुनकर, लिखकर व पढ़कर अपने मन के भावों या विचारों का आदान-प्रदान करता है।
दूसरे शब्दों में- जिसके द्वारा हम अपने भावों को लिखित सांकेतिक अथवा मौखिक रूप से दूसरों को समझा सके और दूसरों के भावो को समझ सके उसे भाषा कहते है।
भाषा शब्द संस्कृत के भाष् धातु से बना है। जिसका अर्थ है- बोलना। विद्यालय में अध्यापक अपनी बात बोलकर समझाते हैं और छात्र सुनकर उनकी बात समझते हैं। बच्चा माता-पिता से बोलकर अपने मन के भाव प्रकट करता है ।और वे उसकी बात सुनकर समझते हैं। इसी प्रकार, छात्र भी अध्यापक द्वारा समझाई गई बात को लिखकर प्रकट करते हैं और अध्यापक उसे पढ़कर मूल्यांकन करते हैं। सभी प्राणियों द्वारा मन के भावों का आदान-प्रदान करने के लिए भाषा का प्रयोग किया जाता है। भाषा के द्वारा मनुष्य के भावो, विचारो और भावनाओ को व्यक्त किया जाता है।
सार्थक शब्दों के समूह या संकेत को भाषा कहते है। यह संकेत स्पष्ट होना चाहिए। मनुष्य के जटिल मनोभावों को भाषा व्यक्त करती है; किन्तु केवल संकेत भाषा नहीं है। रेलगाड़ी का गार्ड हरी झण्डी दिखाकर यह भाव व्यक्त करता है कि गाड़ी अब खुलनेवाली है; किन्तु भाषा में इस प्रकार के संकेत का महत्त्व नहीं है। सभी संकेतों को सभी लोग ठीक-ठीक समझ भी नहीं पाते और न इनसे विचार ही सही-सही व्यक्त हो पाते हैं। सारांश यह है कि भाषा को सार्थक और स्पष्ट होना चाहिए।
Definition of language -
• Language is the means by which a person exchanges his thoughts or thoughts by speaking, listening, writing and reading.
In other words - by which we can explain our expressions to others in written sign or verbally and can understand the feelings of others, it is called language.
The word language is derived from the Sanskrit language of Sanskrit. Which means - speaking. In school, teachers explain their words by speaking and students listen and understand them. The child expresses his feelings by speaking to the parents and they understand by listening to him. Similarly, students also write and reveal what is explained by the teacher and the teacher assesses it by reading it. Language is used by all beings to exchange expressions of mind. Man's feelings, thoughts and feelings are expressed through language.
Language is a group or sign of meaningful words. This sign should be clear. Language expresses the complex emotions of humans; But it is not just sign language. The guard of the train shows a green flag and expresses that the train is now going to open; But this type of sign is not important in language. Not all people understand all the signs properly and neither can they express their thoughts accurately. The gist is that language needs to be meaningful and clear.
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