उत्तर प्रदेश में फार्मर रजिस्ट्री (किसान पंजीकरण) के फायदे:
उत्तर प्रदेश सरकार ने किसानों के लिए "ई-फार्मर रजिस्ट्री" (e-Farmer Registry) शुरू की है, जिससे किसानों को कई लाभ मिलते हैं। यहां इसके मुख्य फायदे दिए गए हैं:
1. सरकारी योजनाओं का सीधा लाभ:
प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (PM-KISAN)
कृषि यंत्र अनुदान योजना
बीज वितरण और उर्वरक सब्सिडी
किसानों के खातों में DBT के माध्यम से सीधा भुगतान
2. गेहूं/धान की खरीद में प्राथमिकता:
ई-रजिस्ट्री से किसान खाद्य विभाग की खरीद प्रणाली (जैसे मंडियों में MSP पर खरीद) में आसानी से पंजीकरण कर सकते हैं।
यह प्रक्रिया किसानों की पहचान सुनिश्चित करती है और फर्जी खरीद को रोकती है।
3. कृषि ऋण और बीमा:
रजिस्टर्ड किसानों को फसल बीमा योजना और कृषि ऋण आसानी से मिल जाता है।
नुकसान की स्थिति में मुआवज़ा मिलना सरल होता है।
4. डिजिटल पहचान:
एक बार रजिस्टर होने के बाद किसान को बार-बार दस्तावेज़ जमा नहीं करने पड़ते।
किसान की जमीन, फसल और बैंक खाता एक ही प्लेटफार्म पर लिंक हो जाता है।
5. शुद्ध आंकड़ों से बेहतर नीतियाँ:
राज्य सरकार को किस जिले में कौन सी फसल हो रही है, कितनी ज़मीन पर खेती हो रही है – इसकी जानकारी मिलती है।
इससे योजनाएं ज़रूरत के अनुसार बनाई जा सकती हैं।
6. बिचौलियों की भूमिका में कमी:
सीधे किसान से संपर्क संभव होने के कारण सरकारी लाभ पारदर्शी तरीके से पहुंचता है।
कैसे करें रजिस्ट्रेशन?
उत्तर प्रदेश सरकार की upagriculture.com वेबसाइट पर जाकर किसान पंजीकरण किया जा सकता है।
उत्तर प्रदेश सरकार ने किसानों के लिए "ई-फार्मर रजिस्ट्री" (e-Farmer Registry) शुरू की है, जिससे किसानों को कई लाभ मिलते हैं। यहां इसके मुख्य फायदे दिए गए हैं:
1. सरकारी योजनाओं का सीधा लाभ:
प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (PM-KISAN)
कृषि यंत्र अनुदान योजना
बीज वितरण और उर्वरक सब्सिडी
किसानों के खातों में DBT के माध्यम से सीधा भुगतान
2. गेहूं/धान की खरीद में प्राथमिकता:
ई-रजिस्ट्री से किसान खाद्य विभाग की खरीद प्रणाली (जैसे मंडियों में MSP पर खरीद) में आसानी से पंजीकरण कर सकते हैं।
यह प्रक्रिया किसानों की पहचान सुनिश्चित करती है और फर्जी खरीद को रोकती है।
3. कृषि ऋण और बीमा:
रजिस्टर्ड किसानों को फसल बीमा योजना और कृषि ऋण आसानी से मिल जाता है।
नुकसान की स्थिति में मुआवज़ा मिलना सरल होता है।
4. डिजिटल पहचान:
एक बार रजिस्टर होने के बाद किसान को बार-बार दस्तावेज़ जमा नहीं करने पड़ते।
किसान की जमीन, फसल और बैंक खाता एक ही प्लेटफार्म पर लिंक हो जाता है।
5. शुद्ध आंकड़ों से बेहतर नीतियाँ:
राज्य सरकार को किस जिले में कौन सी फसल हो रही है, कितनी ज़मीन पर खेती हो रही है – इसकी जानकारी मिलती है।
इससे योजनाएं ज़रूरत के अनुसार बनाई जा सकती हैं।
6. बिचौलियों की भूमिका में कमी:
सीधे किसान से संपर्क संभव होने के कारण सरकारी लाभ पारदर्शी तरीके से पहुंचता है।
कैसे करें रजिस्ट्रेशन?
उत्तर प्रदेश सरकार की upagriculture.com वेबसाइट पर जाकर किसान पंजीकरण किया जा सकता है।
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