वै्यक्तिबालक के मानसिक ,शारीरिक एवं अन्य प्रकार के विकास कुछ विशेष प्रकार के सिद्धांतों पर ढले हुए प्रतीत होता है।इन सिद्धांतों को बाल विकास का सिद्धांत कहा जाता है।
बाल विकास के सिद्धांत निम्न है----
1-निरन्तरता का सिद्धांत
2-व्यैक्तिक अंतर का सिद्धांत
3-परस्पर सम्बन्ध का सिद्धांत
4-एकीकरण का सिद्धांत
5-विकास की दिशा का सिद्धांत
1-निरन्तरता का सिद्धांत
2-व्यैक्तिक अंतर का सिद्धांत
3-परस्पर सम्बन्ध का सिद्धांत
4-एकीकरण का सिद्धांत
5-विकास की दिशा का सिद्धांत
1--निरंतरता का सिद्धांत-
इस सिद्धांत के अनुसार विकास एक न रुकने वाली प्रक्रिया है।मां के गर्भ से ही यह प्रक्रिया शुरू हो जाती है।और मृत्युपर्यन्त चलती रहती है।एक छोटे से नगण्य आकार सेअपना जीवन प्रारम्भ करके हम सब के व्यक्तित्व के सभी पक्षों शारीरिक, मानसिक, सामाजिक, आदि का सम्पूर्ण विकास इसी निरन्तरता के गुण के कारण भलीभांति सम्पन्न होता रहता हैं।
2---व्यैक्तिक अंतर का सिद्धांत-
इस सिद्धांत के अनुसार बालकों का विकास और वृद्धि उनकी अपनी वैयक्तिकता के अनुरूप होती है।वे अपने स्वभाविक गति से ही वृद्धि और विकास के विभिन्न क्षेत्रों में भी आगे बढते रहते है।इसी कारण से उनमें पर्याप्त विभिन्नताएं देखने को मिलती है ।
3--परस्पर सम्बन्ध का सिद्धांत-
विकास के सभी आयाम, जैसे शारीरिक मानसिक सामाजिक संवेगात्मक आदि एक दूसरे से परस्पर संबंधित हैं इनमें से किसी भी एक आयाम में होने वाला विकास अन्य सभी आयामों में होने वाले विकास को पूरी तरह प्रभावित करने की क्षमता रखता है उदाहरण के लिए जिन बच्चों में औसत से अधिक वृद्धि होती है वह शारीरिक और सामाजिक विकास के दृष्टि से भी काफी आगे बड़े पाए जाते हैं दूसरी ओर एक क्षेत्र में पाई जाने वाली न्यूनता दूसरे क्षेत्र में हो रही प्रगति में बाधक सिद्ध होती है यही कारण है किस शारीरिक विकास की दृष्टि से पिछड़े बालक संवेगात्मक सामाजिक एवं बौद्धिक विकास में भी उतने ही पीछे रह जाते हैं
4-एकीकरण का सिद्धांत
विकास की प्रक्रिया एकीकरण के सिद्धांत का पालन करती है इसके अनुसार बालक पहले संपूर्ण अंग को और फिर अंग के भागों को चलाना सीखता है इसके बाद वह उन भागों में एकीकरण करना सीखता है सामान्य से विशेष की ओर बढ़ते हुए विशेष प्रतिक्रियाओं तथा चेष्टाओं को इकट्ठे रूप में प्रयोग में लाना सीखता है उदाहरण के लिए एक बालक पहले पूरे हाथ को फिर उंगलियों को और फिर हाथ एवं उंगलियों को एक साथ चलाना सीखता है।
5-विकास की दिशा का सिद्धांत-
इस सिद्धांत के अनुसार विकास की प्रक्रिया पूर्व निश्चित दिशा में आगे बढ़ती है विकास की प्रक्रिया की यह दिशा व्यक्ति के वंशानुगत एवं वातावरणजन्य कारको से प्रभावित होती है। इसके अनुसार बालक सबसे पहले अपने सिर और भुजाओ की गति पर नियंत्रण करना सीखता है उसके बाद फिर टांगो को इसके बाद ही वह अच्छी तरह बिना सहारे के खड़ा होना और चलना सीखता है।
क) विकास लंबवत सीधा ना होकर वर्तुलाकार होता है।
ख) वृद्धि और विकास की क्रिया वंशानुक्रम और वातावरण का संयुक्त परिणाम है।
ग) विकास सामान्य से विशेष की ओर चलता है।
घ) विकास की भविष्यवाणी की जा सकती है।
इस सिद्धांत के अनुसार विकास एक न रुकने वाली प्रक्रिया है।मां के गर्भ से ही यह प्रक्रिया शुरू हो जाती है।और मृत्युपर्यन्त चलती रहती है।एक छोटे से नगण्य आकार सेअपना जीवन प्रारम्भ करके हम सब के व्यक्तित्व के सभी पक्षों शारीरिक, मानसिक, सामाजिक, आदि का सम्पूर्ण विकास इसी निरन्तरता के गुण के कारण भलीभांति सम्पन्न होता रहता हैं।
2---व्यैक्तिक अंतर का सिद्धांत-
इस सिद्धांत के अनुसार बालकों का विकास और वृद्धि उनकी अपनी वैयक्तिकता के अनुरूप होती है।वे अपने स्वभाविक गति से ही वृद्धि और विकास के विभिन्न क्षेत्रों में भी आगे बढते रहते है।इसी कारण से उनमें पर्याप्त विभिन्नताएं देखने को मिलती है ।
3--परस्पर सम्बन्ध का सिद्धांत-
विकास के सभी आयाम, जैसे शारीरिक मानसिक सामाजिक संवेगात्मक आदि एक दूसरे से परस्पर संबंधित हैं इनमें से किसी भी एक आयाम में होने वाला विकास अन्य सभी आयामों में होने वाले विकास को पूरी तरह प्रभावित करने की क्षमता रखता है उदाहरण के लिए जिन बच्चों में औसत से अधिक वृद्धि होती है वह शारीरिक और सामाजिक विकास के दृष्टि से भी काफी आगे बड़े पाए जाते हैं दूसरी ओर एक क्षेत्र में पाई जाने वाली न्यूनता दूसरे क्षेत्र में हो रही प्रगति में बाधक सिद्ध होती है यही कारण है किस शारीरिक विकास की दृष्टि से पिछड़े बालक संवेगात्मक सामाजिक एवं बौद्धिक विकास में भी उतने ही पीछे रह जाते हैं
4-एकीकरण का सिद्धांत
विकास की प्रक्रिया एकीकरण के सिद्धांत का पालन करती है इसके अनुसार बालक पहले संपूर्ण अंग को और फिर अंग के भागों को चलाना सीखता है इसके बाद वह उन भागों में एकीकरण करना सीखता है सामान्य से विशेष की ओर बढ़ते हुए विशेष प्रतिक्रियाओं तथा चेष्टाओं को इकट्ठे रूप में प्रयोग में लाना सीखता है उदाहरण के लिए एक बालक पहले पूरे हाथ को फिर उंगलियों को और फिर हाथ एवं उंगलियों को एक साथ चलाना सीखता है।
5-विकास की दिशा का सिद्धांत-
इस सिद्धांत के अनुसार विकास की प्रक्रिया पूर्व निश्चित दिशा में आगे बढ़ती है विकास की प्रक्रिया की यह दिशा व्यक्ति के वंशानुगत एवं वातावरणजन्य कारको से प्रभावित होती है। इसके अनुसार बालक सबसे पहले अपने सिर और भुजाओ की गति पर नियंत्रण करना सीखता है उसके बाद फिर टांगो को इसके बाद ही वह अच्छी तरह बिना सहारे के खड़ा होना और चलना सीखता है।
क) विकास लंबवत सीधा ना होकर वर्तुलाकार होता है।
ख) वृद्धि और विकास की क्रिया वंशानुक्रम और वातावरण का संयुक्त परिणाम है।
ग) विकास सामान्य से विशेष की ओर चलता है।
घ) विकास की भविष्यवाणी की जा सकती है।
The development of the mental, physical and other types of falidal seems to be scored on some special types. These principles are called the principle of child development. The principle of child development is :-- 1-related theory of 2-vivid difference The principle of 3-interconnected theory of 4-integration theory of 5-development theory 1 - According to the principle of continuity - According to this principle, development is a non-stop process. This process only from the womb 2 --- The principle of vivid difference - According to this theory, the development and growth of the children is in accordance with their own personalities. They also move forward in different areas of growth and development at their very nature. They get adequate variations in them. 3 - The principle of interconnect - all the dimensions of development, such as physical mental societies are concerned about each other. Development in any of these dimensions has the ability to fully influence the development in all the dimensions, for example, the children who increase more than average. 5-Development theory - According to this theory, the process of development increases in a certain direction, this direction of development process is affected by the hereditary and environmental carco. According to this, the child learns to control the speed of his head and arms first, after that, then the legs later learn to stand and walk. A) Development is not straightforward to be straightforward. B) The increase and development action is a combined result of inheritance and environment. C) Development runs towards special. D) Development can be predicted.
thanks for comment