*🌍अन्तर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस पर बाबा साहेब डाॅ अम्बेडकर को कोटि कोटि नमन .💐💐💐🙏🙏*
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भारत में मजदूरों को हक अधिकार और न्याय अगर किसी महामानव ने दिया है , तो वो एकमात्र महामानव बाबा साहेब अम्बेडकर हैं ।
मजदूर का मतलब सिर्फ दिहाडी मजदूर ना समझें ,भारत में हर सरकारी , प्राइवेट या किसी भी सेक्टर में काम करने वाला व्यक्ति जिससे उसकी मेहनत के बदले वेतन मिलता है।
1 मई…मज़दूर दिवस और अम्बेडकर
बाबा साहेब अम्बेडकर के श्रमिक वर्ग के उत्थान से जुड़े अनेक पहलूओं को भारतीय इतिहासकारों और मजदूर वर्ग के समर्थकों ने नज़रंदाज़ किया है । जबकि अम्बेडकर के कई प्रयास मजदूर आंदोलन और श्रमिक वर्ग के उत्थान हेतु प्रेरणा एवं मिसाल हैं । आईये , आज मज़दूर दिवस के अवसर पर बाबा साहेब के ऐसे ही कुछ प्रयासों पर नज़र डालते हैं –
1. बाबा साहेब वाइसरॉय के कार्यकारी परिषद के श्रम सदस्य थे । उन्हीं की वजह से फैक्ट्रियों में मजदूरों के 12 से 14 घंटे काम करने के नियम को बदल कर 8 घंटे किया गया था ।
2. बाबा साहेब ने ही महिला श्रमिकों के लिए मातृत्व लाभ जैसे कानून बनाने की पहल की थी ।
3. बाबा साहेब ने 1936 में श्रमिक वर्ग के अधिकार और उत्थान हेतु ‘इंडिपेन्डेंट लेबर पार्टी’ की स्थापना की । इस पार्टी का घोषणा पत्र मजदूरों , किसानों , अनुसूचित जातियों और निम्न मध्य वर्ग के अधिकारों की हिमायत करने वाला घोषणापत्र था ।
4. बाबा साहेब ने 1946 में श्रम सदस्य की हैसियत से केंन्द्रीय असेम्बली में न्यूनतम मजदूरी निर्धारण सम्बन्धी एक बिल पेश किया जो 1948 में जाकर ‘न्यूनतम मजदूरी कानून’ बना ।
5. बाबा साहेब ने ट्रेड डिस्प्यूट एक्ट में सशोधन करके सभी यूनियनों को मान्यता देने की आवश्यकता पर जोर दिया । 1946 में उन्होंने लेबर ब्यूरो की स्थापना भी की ।
6. बाबा साहेब पहले व्यक्ति थे जिन्होंने मजदूरों के हड़ताल करने के अधिकार को स्वतंत्रता का अधिकार माना और कहा कि मजदूरों को हड़ताल का अधिकार न देने का अर्थ है मजदूरों से उनकी इच्छा के विरुद्ध काम लेना और उन्हें गुलाम बना देना । 1938 में जब बम्बई प्रांत की सरकार मजदूरों के हड़ताल के अधिकार के विरूद्ध ट्रेड डिस्प्यूट बिल पास करना चाह रही थी तब बाबा साहेब ने खुलकर इसका विरोध किया ।
7. बाबा साहब ट्रेड यूनियन के प्रबल समर्थक थे । वह भारत में ट्रेड यूनियन को बेहद जरूरी मानते थे । वह यह भी मानते थे कि भारत में ट्रेड यूनियन अपना मुख्य उद्देश्य खो चुका है । उनके अनुसार जब तक ट्रेड यूनियन सरकार पर कब्जा करने को अपना लक्ष्य नहीं बनाती तब तक वह मज़दूरों का भला कर पाने में अक्षम रहेंगी और नेताओं की झगड़ेबाजी का अड्डा बनी रहेंगी ।
8. बाबा साहेब का मानना था कि भारत में मजदूरों के दो बड़े दुश्मन हैं – पहला ब्राह्मणवाद और दूसरा पूंजीवाद । देश के श्रमिक वर्ग के उत्थान के लिए दोनों का खात्मा जरूरी है ।
9. बाबा साहेब का मानना था कि वर्णव्यवस्था न सिर्फ श्रम का विभाजन करती है बल्कि श्रमिकों का भी विभाजन करती है । वह श्रमिकों की एकजुटता और उनके उत्थान के लिए इस व्यवस्था का खात्मा जरूरी मानते थे ।
10. बहुत ही कम लोग इस बात को जानते हैं कि बाबा साहेब भारत में सफाई कामगारों के संगठित आंदोलन के जनक भी थे । उन्होंने बम्बई और दिल्ली में सफाई कर्मचारियों के कई संगठन स्थापित किए। बम्बई म्युनिसिपल कामगार यूनियन की स्थापना बाबा साहब ने ही की थी ।
इन तमाम कामों और प्रयासों के बावजूद भी विडंबना ये है कि अम्बेडकर को आज के दिन याद नहीं किया जाता । मज़दूर दिवस को आज भी एक खास विचारधारा से ही जोड़कर देखा जाता है । यही वजह है कि भारत में मज़दूर दिवस के मायने समय के साथ सीमित हो चुके हैं । आज जरूरी है कि किसी खास विचारधारा से प्रेरित होकर मज़दूर दिवस को देखने की बजाय यह देखा जाय कि भारत में मज़दूरों का वास्तविक हितैषी कौन था । वह कौन था जिसने न सिर्फ उनके हक की बात की बल्कि उसके लिए ठोस काम भी किया । इस मायने में अम्बेडकर को कोई चाह कर भी नज़रंदाज़ नहीं कर सकता है ।
आज भारत में मज़दूर दिवस बगैर बाबा साहेब को याद किये और बिना उन्हें धन्यवाद दिए अधूरा है ।
*🔹श्रमिकों के लिए बाबा साहेब की देन : --👇*
1.रोजगार कार्यालय की स्थापना
2.फायनेंस कमीशन की स्थापना
3.कर्मचारी राज्य बीमा(ESI)
4.स्किल इण्डिया प्रोजेक्ट
5.काम का समय 14 घण्टे से 8 घण्टे
6.महिलाओं को प्रसूति अवकाश
7.मंहगाई भत्ता (TA/DA
8.अवकाश का वेतन
9.समान काम का समान वेतन
10.तकनीकी प्रशिक्षण योजना की स्थापना
11.प्रोविडेंट फण्ड ( PF)
12.फायनेंस कमीशन की स्थापना
13.भारतीय सांख्यिकी कानून
14.ट्रेड यूनियन को मान्यता
15.हैल्थ इंन्श्योरैंस
16.श्रमिक कल्याण कोष की स्थापना
17.औद्योगिकरण
18.कृषि का औद्योगिकरण
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