अधिकार अभिलेख
(खतौनी)
[धारा 31(1)]
अंश का निर्धारण
[धारा 31(2)]
27. (1) कलेक्टर प्रत्येक ग्राम के लिए एक अधिकार अभिलेख (खतौनी) आर०सी० प्रपत्र-7 में तैयार व अनुरक्षित करायेगा जिसमें होगा-
(क) उक्त धारा के उपबन्ध (क) से (घ) में विहित विवरण;
(ख) धारा 83 में सन्दर्मित घोषणा व निरसन का विवरणः
(ग) ऐसा अन्य विवरण जैसा कि परिषद द्वारा समय-समय पर निर्देशित किया जाये।
(2) संहिता और तदन्तर्गत बनी नियमावली के प्रावधानों के अधीन, उत्तर प्रदेश अधिकार अभिलेखा (कम्प्यूटरीकरण) नियमावली, 2005, समय-समय पर यथासंशोधित, संहिता और तद्न्तर्गत बनी नियमावली के अन्तर्गत अनुरक्षित किये जाने वाले अधिकार अभिलेख पर लागू होंगे।
28. (1) परिषद सामान्य अथवा विशेष आदेश द्वारा कलेक्टर को यह निदेश देगा कि खतौनी के खातों में प्रत्येक सह खातेदार का अंश निर्धारित किया जायेगा और तद्नुसार राजस्व अभिलेखों को संशोधित किया जायेगा।
(2) इस नियम के उपनियम (1) के अन्तर्गत आदेश होने पर कलेक्टर इस नियम में इसके बाद दी गयी रीति से सह-खातेदारों के हिस्से का निर्धारण करवायेगा।
(3) लेखपाल सम्बन्धित सह-खातेदारों और ग्राम राजस्व समिति के परामर्श से प्रत्येक सह खातेदार का हिस्सा प्रारम्भिक रूप से निधर्धारित करेगा।
(4) हिस्से के निर्धारण में, निम्नलिखित सिद्धान्तों को अपनाया जायेगा-
(क) यदि जोत पैतृक है तो प्रत्येक सह-खातेदार का हिस्सा इस संहिता में विहित उत्तराधिकार की विधि के अनुसार वंशवृक्ष के अनुरूप अथवा पारिवारिक बन्दोबस्त यदि कोई हो, के आधार पर निर्धारित किया जावेगाः
(ख) यदि सह-खातेदारों के नाम अर्जन अथया वसीयत के आधार पर
अभिलिखित हैं तो हिस्से का निर्धारण सम्बन्धित विलेख में समाविष्ट विषयवस्तु के अनुसार निर्धारित किया जायेगा।
(ग) यदि किसी सक्षम न्यायालय द्वारा हिस्सा तय किया गया है तो उसे तद्नुसार दर्ज किया जायेगा।
(5) हिस्से के प्रारम्भिक निर्धारण के बाद प्रत्येक सह खातेदार को आर०सी० प्रपत्र 6 में नोटिस जारी की जायेगी जिसमें प्रत्येक सह-खातेदार का अलग-अलग हिस्सा इंगित होगा और नोटिस के तामीला के दिनांक से पन्द्रह दिनों की अवधि के अन्दर आपत्ति आमंत्रित की जायेगी।
(6) उपरोक्त पन्द्रह दिनों की अवधि की समाप्ति के बाद, राजस्व निरीक्षक, राजस्व ग्राम समिति की सहायता से पक्ष के बीच सुलह के आधार पर आपत्तियां, यदि कोई हों, तय करेगा।
(7) वे सभी आक्षेप जिन्हें सुलह के आधार पर तय नहीं किया गया है. उपजिलाधिकारी को अग्रसारित कर दी जायेंगी और यह सम्बन्धित पक्षकारों को सुनवाई का अवसर प्रदान करने के बाद उसका विनिश्चय करेगा।
(8) राजस्व निरीक्षक अथवा उपजिलाधिकारी द्वारा पारित आदेश को क्रियान्वित किया जायेगा और प्रत्येक सह-खातेदार का हिस्सा तद्नुसार खतौनी में दर्ज किया जायेगा।
(9) इस नियम के अन्तर्गत पारित आदेश से क्षुब्ध कोई पक्षकार सवाम न्यायालय में अपने हिस्से की घोषणा के लिये बाद दाखिल कर सकेगा।
(खतौनी)
[धारा 31(1)]
अंश का निर्धारण
[धारा 31(2)]
27. (1) कलेक्टर प्रत्येक ग्राम के लिए एक अधिकार अभिलेख (खतौनी) आर०सी० प्रपत्र-7 में तैयार व अनुरक्षित करायेगा जिसमें होगा-
(क) उक्त धारा के उपबन्ध (क) से (घ) में विहित विवरण;
(ख) धारा 83 में सन्दर्मित घोषणा व निरसन का विवरणः
(ग) ऐसा अन्य विवरण जैसा कि परिषद द्वारा समय-समय पर निर्देशित किया जाये।
(2) संहिता और तदन्तर्गत बनी नियमावली के प्रावधानों के अधीन, उत्तर प्रदेश अधिकार अभिलेखा (कम्प्यूटरीकरण) नियमावली, 2005, समय-समय पर यथासंशोधित, संहिता और तद्न्तर्गत बनी नियमावली के अन्तर्गत अनुरक्षित किये जाने वाले अधिकार अभिलेख पर लागू होंगे।
28. (1) परिषद सामान्य अथवा विशेष आदेश द्वारा कलेक्टर को यह निदेश देगा कि खतौनी के खातों में प्रत्येक सह खातेदार का अंश निर्धारित किया जायेगा और तद्नुसार राजस्व अभिलेखों को संशोधित किया जायेगा।
(2) इस नियम के उपनियम (1) के अन्तर्गत आदेश होने पर कलेक्टर इस नियम में इसके बाद दी गयी रीति से सह-खातेदारों के हिस्से का निर्धारण करवायेगा।
(3) लेखपाल सम्बन्धित सह-खातेदारों और ग्राम राजस्व समिति के परामर्श से प्रत्येक सह खातेदार का हिस्सा प्रारम्भिक रूप से निधर्धारित करेगा।
(4) हिस्से के निर्धारण में, निम्नलिखित सिद्धान्तों को अपनाया जायेगा-
(क) यदि जोत पैतृक है तो प्रत्येक सह-खातेदार का हिस्सा इस संहिता में विहित उत्तराधिकार की विधि के अनुसार वंशवृक्ष के अनुरूप अथवा पारिवारिक बन्दोबस्त यदि कोई हो, के आधार पर निर्धारित किया जावेगाः
(ख) यदि सह-खातेदारों के नाम अर्जन अथया वसीयत के आधार पर
अभिलिखित हैं तो हिस्से का निर्धारण सम्बन्धित विलेख में समाविष्ट विषयवस्तु के अनुसार निर्धारित किया जायेगा।
(ग) यदि किसी सक्षम न्यायालय द्वारा हिस्सा तय किया गया है तो उसे तद्नुसार दर्ज किया जायेगा।
(5) हिस्से के प्रारम्भिक निर्धारण के बाद प्रत्येक सह खातेदार को आर०सी० प्रपत्र 6 में नोटिस जारी की जायेगी जिसमें प्रत्येक सह-खातेदार का अलग-अलग हिस्सा इंगित होगा और नोटिस के तामीला के दिनांक से पन्द्रह दिनों की अवधि के अन्दर आपत्ति आमंत्रित की जायेगी।
(6) उपरोक्त पन्द्रह दिनों की अवधि की समाप्ति के बाद, राजस्व निरीक्षक, राजस्व ग्राम समिति की सहायता से पक्ष के बीच सुलह के आधार पर आपत्तियां, यदि कोई हों, तय करेगा।
(7) वे सभी आक्षेप जिन्हें सुलह के आधार पर तय नहीं किया गया है. उपजिलाधिकारी को अग्रसारित कर दी जायेंगी और यह सम्बन्धित पक्षकारों को सुनवाई का अवसर प्रदान करने के बाद उसका विनिश्चय करेगा।
(8) राजस्व निरीक्षक अथवा उपजिलाधिकारी द्वारा पारित आदेश को क्रियान्वित किया जायेगा और प्रत्येक सह-खातेदार का हिस्सा तद्नुसार खतौनी में दर्ज किया जायेगा।
(9) इस नियम के अन्तर्गत पारित आदेश से क्षुब्ध कोई पक्षकार सवाम न्यायालय में अपने हिस्से की घोषणा के लिये बाद दाखिल कर सकेगा।
thanks for comment