जिन वर्णों के उच्चारण में अंदर से आने वाली वायु मुख के किसी अवयव (अंग) से बाधित होकर बाहर निकलती है उन्हें व्यंजन कहा जाता है।
अर्थात यह कहा जा सकता है कि व्यंजन का उच्चारण बिना स्वर के नहीं किया जा सकता प्रत्येक व्यंजन के उच्चारण में आ ध्वनि छिपी रहती है इस प्रकार बिना अ के व्यंजन का उच्चारण नहीं किया जा सकता है।
जैसे-च =च् +अ =च
ट= ट्+अ
त=त्+अ
आदि
हिंदी की देवनागरी वर्णमाला में व्यंजनों की संख्या 33 है जिन्हें तीन श्रेणियों में बांटा जा सकता है
१-स्पर्श व्यंजन- इसमें का वर्ग से लेकर प वर्ग तक के व्यंजन सम्मिलित हैं।
२-अंत:स्थ व्यंजन- इसमें कुल 4 व्यंजन ही सम्मिलित हैं जैसे य,र,ल,व
३-उष्म व्यंजन- इसमें भी कुल 4 व्यंजन सम्मिलित हैं जो इस प्रकार हैं श,ष,स,ह
स्पर्श व्यंजन- इस तरह व्यंजन के उच्चारण में कंठ ,तालु, मूर्धा ,दंत और ओष्ठ स्थानो पर स्पर्श होता है। इसलिए इन्हें स्पर्श व्यंजन कहा जाता है इसका एक अन्य नाम वर्गीय व्यंजन भी है । इनका वर्गीकरण इस प्रकार किया जा सकता।
क वर्ग- क,ख,ग,घ,ङ
च वर्ग- च,छ,ज,झ,ञ
ट वर्ग-ट,ठ,ड,ढ,ण
त वर्ग- त,थ,द,ध,न
प वर्ग-प,फ,ब,भ,म
क वर्ग के व्यंजन क,ख,ग,घ,ङ का उच्चारण स्थान कंठ है।
च वर्ग- च,छ,ज,झ,ञ
च वर्ग के व्यंजन का उच्चारण तालु स्थान से होता है।
ट वर्ग-ट,ठ,ड,ढ,ण
ट वर्ग के व्यंजनों का उच्चारण स्थान मुर्धा है।
इसी प्रकार त वर्ग के व्यंजनों त वर्ग- त,थ,द,ध,न का उच्चारण स्थान दंत है
जबकि प वर्ग के व्यंजन,प वर्ग-प,फ,ब,भ,म का उच्चारण स्थान ओष्ठ होता है।
स्पर्श व्यंजनों की कुल संख्या 25 है जिनको का वर्ग, से लेकर प वर्ग तक में बाांटागया है।
अंतस्थ व्यंजन-
अंतस्थ व्यंजन के उच्चारण में पूर्ण स्पर्श नहीं होता अतः उन्हें अर्ध स्वर भी कहा जाता है अंतस्थ व्यंजन ओं की कुल संख्या चार हैं जो इस प्रकार हैं य,र,ल,और व
ऊष्म व्यंजन-
ऊष्म व्यंजन का उच्चारण घर्षण से उत्पन्न वायु से होता है इसलिए इन्हें उसमें व्यंजन कहा जाता है उस में व्यंजनों की संख्या भी चार है। जो निम्नलिखित हैं श,ष,स,और ह।
व्यंजनों का वर्गीकरण अनेक आधारों पर किया गया है उच्चारण की दृष्टि से व्यंजनों को दो भागों में बांटा गया है
उच्चारण स्थान के आधार पर तथा प्रयत्न के आधार पर।
उच्चारण स्थान के आधार पर व्यंजनों का वर्गीकरण निम्न प्रकार से किया गया है
*कण्ठ्य- क,ख,ग,घ,ङ
*तालव्य- च,छ,ज,झ,ञ,य,श
*मूर्धन्य- ट,ठ,ड,ढ,ण ,ड़,ढ़,ष
*दन्त्य- त,थ,द,ध,न
*दन्तमूल-र,ल,स
*ओष्ठ्य- प,फ,ब,भ,म
*दंतोष्ठ्य- व
* सर्वर यंत्रमुखी - ह
प्रयत्न के आधार पर व्यंजनों का वर्गीकरण निम्न प्रकार से किया गया है
- स्पर्श व्यंजन जिन जिन जनों के उच्चारण में एक अंग दूसरे अंग का स्पर्श करता है उन्हें स्पर्श व्यंजन कहा जाता है स्पर्श व्यंजन निम्नलिखित हैं
- क,ख,ग,घ,ट,ठ,ड,ढ,त,था,द,ध,प,फ,ब,भ,
- संघर्षी व्यंजन-संघर्ष व्यंजनों के उच्चारण में दो अंग एक दूसरे के इतने करीब आ जाते हैं कि उनके बीच से निकलने वाली वायु रगड करती हुई निकलती।हैं इस वर्ग के व्यंजन इस प्रकार हैं।फ,व,स,श,है
- स्पर्श संघर्षी व्यंजन-इस तरह के व्यंजनों के उच्चारण में स्पर्श के साथ-साथ घर्षण भी होता है। जैसे च,छ,ज,झ
- नासिक्य व्यंजन -नासिक्य का अर्थ होता है नाक इस प्रकार के व्यंजन का उच्चारण करते समय हवा नासिका से निकलती है जैसे ङ,ञ,ण,न,म
- उत्क्षिप्त व्यंजन - जिन व्यंजनों के उच्चारण में जीव ऊपर उठकर झटके के साथ नीचे आती हैं उन्हें उत्क्षिप्त व्यंजन कहते हैं जैसे ड़,ढ़
- घोष व्यंजन और अघोष व्यंजन
- अघोष व्यंजन-जिंद अंजना के उच्चारण में स्वर तंत्रियां झंकृत नहीं होती है वे अघोष व्यंजन कहलाते हैं प्रत्येक वर्ग के प्रथम एवं द्वितीय वर्ण अघोष व्यंजन है इसके अलावा श,ष,स भी अघोष व्यंजन के अंतर्गत आते हैं। जो निम्न प्रकार से -क,ख,च,छ,ट,ठ,त,थ,प,फ,श,ष,स
- घोष व्यंजन-जिन बिंदुओं के उच्चारण में स्वर तंत्रिका झंकृत होती हैं उन्हें घोष व्यंजन कहते हैं प्रत्येक वर्ग के तीसरे चौथे पांचवें व्यंजन घोष व्यंजन होते हैं परंतु य,र, ल,व भी इसी वर्ग में आते हैं। जो निम्न हैं -
- ग,घ,ङ,ज,झ,ञ,ड,ढ,ण,द,ध,न,ब,भ,म,य,र,ल,व।
- हलंत -किसी व्यंजन वर्ण के नीचे जब एक तिरछी रेखा लगा दे तब उस रेखा को हलंत कहते हैं। हलंत को हल् भी कहा जाता है। अनंत को लगा देने का तात्पर्य यह है कि व्यंजन में स्वर वर्ण का अभाव है या व्यंजन आधा है जैसे क व्यंजन में क्+अ में अ स्वर छुपा हुआ है। अर्थात यदि अ को हटाकर इस व्यंजन को लिखना चाहे तो क के नीचे हलंत लगाकर इसे क् के रूप में लिखना होगा।
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