फसल चक्र क्या है:-
फसल चक्र से आप को यह ज्ञात हो रहा होगा कि किसी चीज को बार बार बदलना।अर्थात यह कहा जा सकता है कि फसल चक्र दो शब्दों से मिलकर बना है एक है फसल दूसरा है चक्र अर्थात फसल जो उगाया जाता है उसको बार-बार बदलना चक्र का अर्थ हुआ बदलना अब तो यह कहा जा सकता है कि किसी निश्चित भूखंड से निश्चित समय में बदल बदल कर फसलें उगाने के नियोजन को फसल चक्र कहते हैं जिससे भूमि की कम से कम उर्वरा शक्ति नष्ट हो और अधिक से अधिक उत्पादन में ले।
फसल चक्र को सस्यावर्तन भी कहते हैं। प्रयोग से ऐसा ज्ञात हुआ है कि सभी फैसले मिट्टी से तत्वों को समान रूप से नहीं लेते हैं यही कारण है कि एक खेत से एक ही फसल प्रतिवर्ष नहीं ली जाती है अपितु इसका नियोजन ऐसा किया जाता है कि तत्वों का अधिक शोषण करने वाली फसल के बाद तत्वों का कम शोषण करने वाली फसल ली जाए विगत में भी 1 वर्ष खरीद तथा दूसरी वर्ष में रवि फसल लेने की परंपरा थी।
What is crop rotation?
You must be getting to know from the crop rotation that changing something repeatedly. That is, it can be said that the crop circle is made up of two words, one is the crop, the other is the cycle, that is, changing the crop which is grown again and again. Changing the meaning of cycle Now it can be said that the planning of growing crops from a fixed plot in a fixed time is called crop rotation, so that the least fertility of the land is destroyed and takes maximum production.
Crop rotation is also called crop rotation. It has been found from the experiment that all the decisions do not take the elements from the soil equally, that is why the same crop is not taken from a field every year, but it is planned in such a way that the crop that exploits the elements more is chosen. After that crop less exploitative of the elements should be taken. In the past also there was a tradition of buying one year and taking Ravi crop in the second year.
फसल चक्र के सिद्धांत :-
अधिक पानी चाहने वाली फसल के बाद कम पानी चाहने वाली फसल बोनी चाहिए जैसे धान के बाद मटर या चना की फसल बोने चाहिए।
मूसला जड़ वाली फसल के बाद झगड़ा जड़ वाली फसल को बोलना चाहिए जिससे मिट्टी की सभी पदों से समान रूप से पोषक तत्वों का शोषण हो सके जैसे अलसी के बाद मक्का कपास के बाद गेहूं बनना चाहिए
दलहनी फसल के बाद बिना दलहनी फसलें बोने चाहिए जैसे चना के बाद ज्वार , मूग और उसके बाद गेहूं बोना चाहिए।
Principles of crop rotation:-
Crops that require more water should be sown after crops that require less water, such as peas or gram after paddy.
Root crop should be followed by sludge root crop so that nutrients can be absorbed equally from all positions of the soil like linseed followed by maize cotton followed by wheat
After the pulses crop should be sown without pulses like gram, jowar, moong and after that wheat should be sown.
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