भाषा और चिन्तन
(LANGUAGE AND THINKING)
भाषा-विकास-भाषा का विकास बाल-विकास के अन्तर्गत मानसिक विकास का ही एक अभिन्न अंग है। भाषा के विकास से तात्पर्य बालक का शैशवावस्था से आजीवन अभिव्यक्ति के साधन 'भाषा को सीखते रहना है। भाषा का विकास अभिव्यक्ति के साधन के अतिरिक्त समाज में परस्पर विचार-विनिमय द्वारा सामाजिक समायोजन तथा जीवनयापन के साधन का प्रभावी प्रयोग करने हेतु व्यक्ति के लिए अपरिहार्य होता है। बाल्यावस्था में बालक मातृभाषा एवं अन्य भाषाएं भी सीखता है। भाषा का विकास बाल-विकास के साथ क्रमश आयु, अभिवृद्धि व मानसिक विकास के साथ होता रहता है। बाल्यकाल में प्रत्यक्ष ज्ञान, प्रत्यय ज्ञान व अवबोध का विकास हो जाता है। जिसे वह भाषा द्वारा अभिव्यक्त कर लेता है। उसमे सौन्दर्यानुभूति भी विकसित हो जाती है जिसे वह व्यक्त करने लगता है। भाषा के विकास की विशेषताएं
(1) भाषा भावो एवं विचारों की अभिव्यक्ति का साधन है।
(2) भाषा मनुष्य के भावात्मक विकास का साधन है।
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